पूर्व बीजेपी नेता अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा ने 11 सिंतबर 2018 को प्रशांत भूषण के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. कॉन्फ्रेंस में मोदी सरकार पर राफेल घोटाला और नोटबंदी के समय काले धन को सफेद करने का आरोप लगाया. इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकार प्रसून शुक्ला ने पूर्व बीजेपी नेता अरुण शौरी(पत्रकार) और यशवंत सिन्हा (पूर्व वित्तमंत्री) से सवाल किया कि प्रशांत भूषण का साथ आर्थिक मुद्दे तक ही सीमित है या दोनों पूर्व बीजेपी नेता प्रशांत भूषण के उस राजनीतिक विचारधारा के भी साथ हो लिए हैं, जिसमें प्रशांत भूषण कश्मीर में जनमत संग्रह की मांग करते हैं. जो सीधे सीधे भारत विभाजन की मांग से जुड़ा है. सवाल को टालते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा कि आगे सभी मुद्दों पर भी बात करके आयेंगे. तो प्रशांत भूषण ने सफाई दी कि इस मुद्दे पर उनकी राय को गलत परिपेक्ष्य में लिया गया था. हालांकि प्रशांत भूषण ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या अब आप जनमत संग्रह की मांग से पीछे हट गये हैं. प्रसून शुक्ला के इसी सवाल पर पेशे से पत्रकार रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी तिलमिला गये. मोदी को छोड़कर अरुण शौरी ने प्रसून शुक्ला पर ही मामले को भटकाने का आरोप लगा दिया.
ये वही अरुण शौरी हैं जो लोकतंत्र में सवाल पूछने को संवैधानिक अधिकार बताते रहे हैं. भानुमति का कुनबा बनाकर आये शौरी जायज सवाल पर बिदक गये. शौरी को देश विभाजन की बात करने वालों के साथ उनके बैठने पर सवाल उठाना बेहद नागवार गुजरा. इसी सवाल पर उन्होंने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस सामाप्त कर दी. राफेल के मुद्दे पर भी तीनों महानुभव मानते हैं कि उन्हें पूरा शक है कि मामले में घोटाला हुआ है. लेकिन कोर्ट में पीआईएल फाइल करने में मास्टरी रखने वाले प्रशांत भूषण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही स्वीकार किया कि उन्हें नहीं लगता है कि कोर्ट इस संशय के मामले में ज्यादा कुछ कर पायेगी.