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प्रसून शुक्ला की गिनती उन अग्रणी चिंतकों में होती है, जो राष्ट्र की धारणा और मानवाधिकारों को एक दूसरे का पूरक मानकर अपनी लेखनी चलाते हैं. ईटीवी, सहारा न्यूज़ चैनल समूह, न्यूज़ एक्सप्रेस, न्यूज़ ट्रैक सहित कई चैनलों में प्रबंध संपादक/संपादक के पद पर प्रसून शुक्ला आसीन रहे हैं. पत्रकारिता को प्रसून वो औजार मानते हैं, जिसके जरिए समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को भी जीवन में आगे बढ़ने के लिए पूरा मौका दिलाया जा सके. संपूर्ण स्वच्छता, जल, जमीन, जलवायु, ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक समस्याएं और मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव के लिए रिपोर्टिंग और संपादकीय विधा का भरपूर उपयोग किया. यूपीए के समय कोयला घोटाले को उजागर करने वाले चुनिंदा टीवी पत्रकारों में प्रसून शुक्ला भी शामिल रहें. प्रसून की सकारात्मक राजनीतिक बदलावों के लिए देश के शीर्ष पर बैठे राजनीतिज्ञों से अपने टीवी शो में सवालों के जरिए रास्ता खोजने की कोशिश रही.
केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली से मास मीडिया एंड क्रियटिव राइटिंग और ह्यूमन राइट्स एंड सोशल रिस्पोंसिबिल्टीज में पीजी डिप्लोमा की डिग्री लेने के साथ ही आधुनिक इतिहास में मास्टर्स की डिग्री भी हासिल की. इतिहास, मानवाधिकार और मीडिया संबंधी शैक्षणिक पृष्ठभूमि ने सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय और राजनीतिक मुद्दों पर समाज में आखिरी व्यक्ति के साथ जुड़ना सीखाया. जामिया मिलिया इस्लामिया में मिले अनुभवों ने पत्रकारिता के लक्ष्यों को तय करने में काफी अहम भूमिका निभाई. स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी पहचान कायम करने वाले केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिलिया इस्लामिया में मिली शिक्षा ने प्रसून शुक्ला के अंदर आत्मविश्वास के साथ मानवता और राष्ट्र की सेवा का भाव भरा. आधुनिक हिंदी को स्वरूप देने वाले आचार्य रामचंद्र शुक्ल को आदर्श मानने वाले प्रसून भी ऐसे नव सिद्धांतों के पक्षधर हैं, जो समाज को नये सिरे से खड़ा करते हो. पत्रकारिता के अतिरिक्त प्रसून शुक्ला का झुकाव अध्यापन क्षेत्र में भी रहा. जिसके चलते वो दिल्ली-एनसीआर के शारदा विश्वविद्यालय के विजिटिंग फैकेल्टी, गलगोटिया विश्वविद्यालय में बोर्ड ऑफ स्टाडीज के मेंबर भी रहें. उत्तर आधुनिकवाद विचारधारा से प्रभावित प्रसून शुक्ला विश्वविद्यालयों के अंदर मीडिया पाठ्यक्रम में विचारधारा की पढ़ाई को परियोजना आधारित (प्रोजेक्ट बेस स्टडी) अध्ययन कराने के लिए प्रयासरत हैं. डागमे 95 की तर्ज पर प्रसून भी मीडिया में सीमित और प्राकृतिक संसाधनों के दम पर समाज की छवि वास्तविक छवि दिखाने पर जोर देते रहे हैं.
मानवता के नाम पर देश छला नहीं जाये इसके लिए मानवाधिकारवादी प्रसून शुक्ला ने सोशल सिक्योरिटी फॉर नेशनलिस्ट ट्रस्ट के जरिए राष्ट्रभक्तों के मानवाधिकारों की ही बात करते रहे हैं. प्रसून शुक्ला दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कालेज की गवर्निंग बॉडी के मेंबर के तौर पर दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से नामित किये गये. प्रसून शुक्ला न्यूज एक्सप्रेस, सहारा समय, ईटीवी (अब न्यूज़ 18) सहित कई राष्ट्रीय समाचार चैनल में संपादक की भूमिका निभाते रहे हैं.