रोज़ाना 12घंटे का हो वर्किंग आवर
उद्योग जगत ने सरकार के सामने अपनी मांगों को एक लंबी फेहरिस्त सौंपी है। हालांकि अगर सरकार इन मांगों में से अगर कुछ पर भी अमल करती है तो मज़दूरों को बड़ा झटका लग सकता है।
बैठक में नियोक्ता समूहों के ज़्यादातर प्रतिनिधियों ने कामकाज का समय बढ़ाने की मांग की.
उनका कहना था कि काम करने की समय सीमा रोज़ाना 12 घंटे किया जाना चाहिए ताकि लॉकडाउन में हुए नुकसान की भरपाई की जा सके. ये भी सलाह दी गई कि नियोक्ता और कर्मचारी, दोनों ही तरफ़ से सामाजिक सुरक्षा से जुड़े ख़र्चे में कटौती की जाए. उद्योग जगत ने सरकार से औद्योगिक विवाद क़ानून यानि Industrial Disputes Act में ढील दिए जाने की भी मांग की है.
श्रम कानूनों को अगले 2- 3 सालों तक स्थगित रखने की मांग की गई है. हालांकि न्यूनतम वेतन, बोनस और अन्य क़ानूनी देनदारियों के सम्बंध में इन श्रम क़ानूनों को पहले जैसे ही लागू रखने का सुझाव दिया गया. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों ने पहले ही श्रम क़ानूनों में ढील देने की घोषणा कर दी है. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने तो इसके लिए एक अध्यादेश को भी मंज़ूरी दे दी है।