सौजन्य : www.pgurus.com में छपा श्री अय्यर का लेख
एनडीटीवी और चिदंबरम धोखाधड़ी का पर्दाफाश करने वाले आईटी आयुक्त एस के श्रीवास्तव की सेवा समाप्ति के पीछे कौन हैं?भ्रष्ट आईटी अधिकारियों की सूची में एस के श्रीवास्तव का नाम किसकी शह पर जोड़ा गया?
एनडीटीवी और चिदंबरम धोखाधड़ी का पर्दाफाश करने वाले आईटी आयुक्त एस के श्रीवास्तव की सेवा समाप्ति के पीछे कौन हैं?एनडीटीवी और चिदंबरम धोखाधड़ी का पर्दाफाश करने वाले आईटी आयुक्त एस के श्रीवास्तव की सेवा समाप्ति के पीछे कौन हैं?
“ये जो हुआ, अच्छा नहीं हुआ!” ये वो शब्द थे जो मेरे दिमाग में आए थे जब मैंने जबरन सेवानिवृत्ति पर भेजे जाने वाले आयकर अधिकारियों की सूची देखी। आयकर आयुक्त संजय कुमार श्रीवास्तव, जिन्होंने एनडीटीवी के हजारों की संख्या में करोड़ों के कर उल्लंघन और काले धन को वैध बनाने की घटनाओं को और भ्रष्ट पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के साथ उनके लिंक को उजागर किया, उन्हें केंद्र सरकार ने मौलिक नियमों के मनमाने प्रावधान नियम 56 (जे) की आड़ में यौन शोषण के फर्जी मामलों के कारण सेवा से निष्कासित कर दिया। इस नियम का उपयोग आम तौर पर उन व्यक्तियों की सेवाओं को समाप्त करने के लिए किया जाता था, जो 50 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मामलों के लिए पकड़े गए हैं और जो काम नहीं कर रहे हैं (मृत लकड़ी माना जाता है)।
जब एसके श्रीवास्तव ने 2006 में काले धन को वैध बनाने वाले प्रणॉय रॉय के स्वामित्व वाले भ्रष्ट टीवी चैनल एनडीटीवी (NDTV) में कर चोरी और काले धन को वैध बनाने के बारे में पता लगाया, तो आयकर आयुक्त तत्कालीन भ्रष्ट वित्त मंत्री चिदंबरम के रडार के नीचे थे, जो उनकी रिश्वत का पैसा NDTV के माध्यम से काले से सफेद करता था। पाठकों की रुचि के लिए, हम श्रीवास्तव के पर्दाफाशों की सही समयरेखा और भ्रष्टाचारियों द्वारा उनके सामने आने वाली कठिनाइयों को सामने ला रहे हैं।
1. 2006 में, आयकर आयुक्त एसके श्रीवास्तव ने NDTV में कर चोरी और धोखाधड़ी की दुर्गंध महसूस की। उन्होंने पाया कि NDTV के आकलन अधिकारी सुमना सेन आईआरएस NDTV के साथ मिलकर काम कर रही थी और उसका पति अभिसार शर्मा NDTV में काम कर रहा था। उन दिनों शर्मा (एक जूनियर एंकर) को NDTV से प्रति माह 1 लाख रुपये का मोटा वेतन मिल रहा था, जबकि कई जाने-माने पत्रकारों को प्रति माह केवल रुपये 40,000 मिल रहे थे। एक आकलन अधिकारी के रूप में सुमना सेन ने कभी भी आयकर विभाग को यह घोषित नहीं किया कि उसका पति आयकर के आकलन सर्कल के तहत आने वाली एक फर्म में काम कर रहा है। सुमना और पति एनडीटीवी के पैसों से कई विदेशी यात्राओं का आनंद ले रहे थे। इस सकल उल्लंघन की रिपोर्ट एस के श्रीवास्तव ने की थी। इस रिपोर्टिंग ने श्रीवास्तव को तत्कालीन भ्रष्ट वित्त मंत्री चिदंबरम के रडार पर ला दिया, जिन्होंने ईमानदार आयकर अधिकारी को धमकाना शुरू कर दिया। श्रीवास्तव से प्रतिशोध लेने के लिए, सुमना सेन ने एक विभागी शिकायत दर्ज कराई कि श्रीवास्तव ने उसका यौन उत्पीड़न किया। उसकी शिकायत यह थी कि श्रीवास्तव अपने सहयोगियों से उसके बारे में अपशब्द बोलते थे और भद्दी टिप्पणियां करते थे और फाइलों में अश्लील टिप्पणी करते थे। लेकिन इनमें से किसी भी शिकायत को विभागीय जांच में सही नहीं पाया गया।
2. 2008 में, श्रीवास्तव को एक अन्य महिला आईआरएस अधिकारी आशिमा नेब जो आयकर के विदेशी कर प्रभाग में काम कर रही थी, जो एनडीटीवी की पक्षधर थी, के बारे में पता लगा। उन्होंने उच्च अधिकारियों को बताया कि कैसे उसने (आशिमा) NDTV को विदेशी कंपनियों के माध्यम से काले धन को वैध बनाने के मामले से बचाया। श्रीवास्तव ने आशिमा नेब द्वारा दिल्ली में एक फ्लैट की संदिग्ध खरीद की भी जानकारी दी, जिसमें एनडीटीवी से रिश्वत लेने और दुबई में उसकी लगातार विदेश यात्राओं और मॉरीशस में 10 दिनों के लंबे प्रवास का आरोप लगाया। आशिमा नेब चिदंबरम और कई उच्च अधिकारियों की भी करीबी थी। आशिमा ने भी सुमना सेन जैसे यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए और शिकायत उसी तर्ज पर थी – जिसमें श्रीवास्तव द्वारा आधिकारिक फाइलों और दस्तावेजों में उसके खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करना, आदि। इस शिकायत की भी विभागीय जांच में कोई विश्वसनीयता प्रमाणित नहीं हुई।
3. कुछ हफ्तों के भीतर, चिदंबरम, जो उस समय गृह मंत्री थे, ने दिल्ली पुलिस को आशिमा नेब और सुमना सेन द्वारा दायर शिकायतों (जो पहले से ही विभागीय जांच में विश्वसनीयता खो चुकी थी) पर एसके श्रीवास्तव के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए मजबूर किया। इस बीच, जब चिदंबरम को वित्त मंत्रालय वापस मिल गया तो एसके श्रीवास्तव को निलंबित कर दिया और विभागीय पूछताछ की एक श्रृंखला शुरू कर दी। श्रीवास्तव ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जोरदार तर्क-वितर्क के दौरान, उच्च न्यायालय (एचसी) ने आश्चर्यजनक रूप से उन्हें जनवरी 2014 में मानसिक अस्पताल में 15 दिन के लिए भेजने का आदेश दिया। उच्च न्यायालय ने ऐसा आदेश क्यों पारित किया यह एक और सवाल है। तब मेंटल हॉस्पिटल ने हाईकोर्ट को वापस रिपोर्ट दी कि श्रीवास्तव मानसिक रूप से स्वस्थ हैं। इस अवधि के दौरान, भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी, कार्यकर्ता, और लेखक एस गुरुमूर्ति, विख्यात वकील राम जेठमलानी, भाजपा नेता यशवंत सिन्हा, शीर्ष पुलिस अधिकारी केपीएस गिल, कार्यकर्ता मधु किश्वर ने कई मंचों पर हस्तक्षेप कर ईमानदार अधिकारी एसके श्रीवास्तव के लिए न्याय की मांग की। इस बीच, कई मंचों पर, श्रीवास्तव ने मामलों को जीतना शुरू कर दिया।
4. 2014 के मध्य में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एसके श्रीवास्तव को बहाल करने का आदेश दिया। लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली (चिदंबरम के जाने माने दोस्त) श्रीवास्तव के दिल्ली में पदस्थ होने पर आपत्ति जता रहे थे और उन्हें पास के नोएडा क्षेत्र में पदस्थ कर दिया था। 2015 से, एसके श्रीवास्तव प्रधान आयुक्त के रूप में पदोन्नति के लिए पात्र थे और जेटली, चिदंबरम के साथ निकटता के कारण, फाइल को रोककर रख रहे थे।
5. दिलचस्प बात यह थी कि पिछले साल (2018) तक, श्रीवास्तव के वार्षिक गोपनीय रिकॉर्ड में 90 प्रतिशत से अधिक की योग्यता वाले ग्रेड दिखाई देते हैं क्योंकि उन्होंने अपने लक्ष्य से अधिक हासिल किया।
6. निचली अदालत ने एसके श्रीवास्तव को आशिमा नेब द्वारा दायर यौन उत्पीड़न मामले में 2018 की शुरुआत में आरोप मुक्ति दी। सुमना सेन द्वारा दायर किया गया मामला अभी भी प्रारंभिक चरण में है।
मुझे उम्मीद है कि पाठकों ने समयरेखा (timeline) को ध्यान से पढ़ा होगा। तो एस के श्रीवास्तव का नाम आरोपों का सामना करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों की सूची में कैसे आया? कैसे यौन उत्पीड़न के अप्रमाणित आरोप, वह भी एनडीटीवी से लाभ (सरल भाषा में यह रिश्वत है) को स्वीकार करने के लिए पकड़े गए महिला आईआरएस अधिकारियों द्वारा दायर मामले मुद्दे बन गए?
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यह पता चला है कि अरुण जेटली ने मई के शुरुआती हफ्तों में, श्रीवास्तव के नाम सहित गुप्त रूप से इस सूची को मंजूरी दी थी। और वर्तमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अरुण जेटली द्वारा अनुमोदित इस सूची से सहमत हैं और पीएमओ के अतिरिक्त प्रधान सचिव पी के मिश्रा ने एस के श्रीवास्तव (जिन्होंने NDTV के धोखाधड़ी और कर चोरी और चिदंबरम द्वारा रिश्वत के पैसे की पार्किंग का खुलासा किया) के खिलाफ फाइलों के क्रियान्वयन को शुरू किया। करोड़ों रुपयों का सवाल है – आप किसके लिए काम करते हैं? चिदंबरम द्वारा शुरू किए गए फर्जी मामलों पर कार्रवाई और अनुवर्ती कार्रवाई क्यों?
यह सही समय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हस्तक्षेप करें और एस के श्रीवास्तव के साथ न्याय करें, जिन्होंने शक्तिशाली और भ्रष्ट लोगों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।